Job (अय्यूब) >> The Speech of Elihu Part 3



1 फिर एलीहू यों कहता गया;
1 Furthermore Elihu answered and said,
2 हे बुद्धिमानो! मेरी बातें सुनो, और हे ज्ञानियो! मेरी बातों पर कान लगाओ;
2 Hear my words, O ye wise men; and give ear unto me, ye that have knowledge.
3 क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं।
3 For the ear trieth words, as the mouth tasteth meat.
4 जो कुछ ठीक है, हम अपने लिये चुन लें; जो भला है, हम आपस में समझ बूझ लें।
4 Let us choose to us judgment: let us know among ourselves what is good.
5 क्योंकि अय्यूब ने कहा है, कि मैं निर्दोष हूँ, और ईश्वर ने मेरा हक़ मार दिया है।
5 For Job hath said, I am righteous: and God hath taken away my judgment.
6 यद्यपि मैं सच्चाई पर हूं, तौभी झूठा ठहरता हूँ, मैं निरपराध हूँ, परन्तु मेरा घाव असाध्य है।
6 Should I lie against my right? my wound is incurable without transgression.
7 अय्यूब के तुल्य कौन शूरवीर है, जो ईश्वर की निन्दा पानी की नाईं पीता है,
7 What man is like Job, who drinketh up scorning like water?
8 जो अनर्थ करने वालों का साथ देता, और दुष्ट मनुष्यों की संगति रखता है?
8 Which goeth in company with the workers of iniquity, and walketh with wicked men.
9 उसने तो कहा है, कि मनुष्य को इस से कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्वर की संगति रखे।
9 For he hath said, It profiteth a man nothing that he should delight himself with God.
10 इसलिऐ हे समझवालो! मेरी सुनो, यह सम्भव नहीं कि ईश्वर दुष्टता का काम करे, और सर्वशकितमान बुराई करे।
10 Therefore hearken unto me ye men of understanding: far be it from God, that he should do wickedness; and from the Almighty, that he should commit iniquity.
11 वह मनुष्य की करनी का फल देता है, और प्रत्येक को अपनी अपनी चाल का फल भुगताता है।
11 For the work of a man shall he render unto him, and cause every man to find according to his ways.
12 नि:सन्देह ईश्वर दुष्टता नहीं करता और न सर्वशक्तिमान अन्याय करता है।
12 Yea, surely God will not do wickedly, neither will the Almighty pervert judgment.
13 किस ने पृथ्वी को उसके हाथ में सौंप दिया? वा किस ने सारे जगत का प्रबन्ध किया?
13 Who hath given him a charge over the earth? or who hath disposed the whole world?
14 यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये और अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले,
14 If he set his heart upon man, if he gather unto himself his spirit and his breath;
15 तो सब देहधारी एक संग नाश हो जाएंगे, और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा।
15 All flesh shall perish together, and man shall turn again unto dust.
16 इसलिये इस को सुन कर समझ रख, और मेरी इन बातों पर कान लगा।
16 If now thou hast understanding, hear this: hearken to the voice of my words.
17 जो न्याय का बैरी हो, क्या वह शासन करे? जो पूर्ण धमीं है, क्या तू उसे दुष्ट ठहराएगा?
17 Shall even he that hateth right govern? and wilt thou condemn him that is most just?
18 वह राजा से कहता है कि तू नीच है; और प्रधानों से, कि तुम दुष्ट हो।
18 Is it fit to say to a king, Thou art wicked? and to princes, Ye are ungodly?
19 ईश्वर तो हाकिमों का पक्ष नहीं करता और धनी और कंगाल दोनों को अपने बनाए हुए जान कर उन में कुछ भेद नहीं करता।
19 How much less to him that accepteth not the persons of princes, nor regardeth the rich more than the poor? for they all are the work of his hands.
20 आधी रात को पल भर में वे मर जाते हैं, और प्रजा के लोग हिलाए जाते और जाते रहते हैं। और प्रतापी लोग बिना हाथ लगाए उठा लिए जाते हैं।
20 In a moment shall they die, and the people shall be troubled at midnight, and pass away: and the mighty shall be taken away without hand.
21 क्योंकि ईश्वर की आंखें मनुष्य की चालचलन पर लगी रहती हैं, और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है।
21 For his eyes are upon the ways of man, and he seeth all his goings.
22 ऐसा अन्धियारा वा घोर अन्धकार कहीं नहीं है जिस में अनर्थ करने वाले छिप सकें।
22 There is no darkness, nor shadow of death, where the workers of iniquity may hide themselves.
23 क्योंकि उसने मनुष्य का कुछ समय नहीं ठहराया ताकि वह ईश्वर के सम्मुख अदालत में जाए।
23 For he will not lay upon man more than right; that he should enter into judgment with God.
24 वह बड़े बड़े बलवानों को बिना पूछपाछ के चूर चूर करता है, और उनके स्थान पर औरों को खड़ा कर देता है।
24 He shall break in pieces mighty men without number, and set others in their stead.
25 इसलिये कि वह उनके कामों को भली भांति जानता है, वह उन्हें रात में ऐसा उलट देता है कि वे चूर चूर हो जाते हैं।
25 Therefore he knoweth their works, and he overturneth them in the night, so that they are destroyed.
26 वह उन्हें दुष्ट जान कर सभों के देखते मारता है,
26 He striketh them as wicked men in the open sight of others;
27 क्योंकि उन्होंने उसके पीछे चलना छोड़ दिया है, और उसके किसी मार्ग पर चित्त न लगाया,
27 Because they turned back from him, and would not consider any of his ways:
28 यहां तक कि उनके कारण कंगालों की दोहाई उस तक पहुंची और उसने दीन लोगों की दोहाई सुनी।
28 So that they cause the cry of the poor to come unto him, and he heareth the cry of the afflicted.
29 जब वह चैन देता तो उसे कौन दोषी ठहरा सकता है? और जब वह मुंह फेर ले, तब कौन उसका दर्शन पा सकता है? जाति भर के साथ और अकेले मनुष्य, दोनों के साथ उसका बराबर व्यवहार है
29 When he giveth quietness, who then can make trouble? and when he hideth his face, who then can behold him? whether it be done against a nation, or against a man only:
30 ताकि भक्तिहीन राज्य करता न रहे, और प्रजा फन्दे में फंसाई न जाए।
30 That the hypocrite reign not, lest the people be ensnared.
31 क्या किसी ने कभी ईश्वर से कहा, कि मैं ने दण्ड सहा, अब मैं भविष्य में बुराई न करूंगा,
31 Surely it is meet to be said unto God, I have borne chastisement, I will not offend any more:
32 जो कुछ मुझे नहीं सूज पड़ता, वह तू मुझे सिखा दे; और यदि मैं ने टेढ़ा काम किया हो, तो भविष्य में वैसा न करूंगा?
32 That which I see not teach thou me: if I have done iniquity, I will do no more.
33 क्या वह तेरे ही मन के अनुसार बदला पाए क्योंकि तू उस से अप्रसन्न है? क्योंकि तुझे निर्णय करना है, न कि मुझे; इस कारण जो कुछ तुझे समझ पड़ता है, वह कह दे।
33 Should it be according to thy mind? he will recompense it, whether thou refuse, or whether thou choose; and not I: therefore speak what thou knowest.
34 सब ज्ञानी पुरुष वरन जितने बुद्धिमान मेरी सुनते हैं वे मुझ से कहेंगे, कि
34 Let men of understanding tell me, and let a wise man hearken unto me.
35 अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं कहता, और न उसके वचन समझ के साथ होते हैं।
35 Job hath spoken without knowledge, and his words were without wisdom.
36 भला होता, कि अय्यूब अन्त तक परीक्षा में रहता, क्योंकि उसने अनर्थियों के से उत्तर दिए हैं।
36 My desire is that Job may be tried unto the end because of his answers for wicked men.
37 और वह अपने पाप में विरोध बढ़ाता है; ओर हमारे बीच ताली बजाता है, और ईश्वर के विरुद्ध बहुत सी बातें बनाता है।
37 For he addeth rebellion unto his sin, he clappeth his hands among us, and multiplieth his words against God.